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शुक्रवार, 12 अगस्त 2011
चल्या अवोसा
हलचल मचावता चाल्या आओसा,
पायाळ बजावता चाल्या आओसा।
रूप रो तावडीयो चढ़ ग्यो आकाशां
बादल बरसावता चाल्या आओसा।
प्रीत रो रस्तो है काँटा भरियो
मखमल बिछावता चाल्या आओसा।
सांसां ने बाँध ली ओल्युं थांरी
सुधियाँ लुटाता चल्या आओसा।
रतन जैन
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